आग में से नाग ने,
बचायो कंवर तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
चांदमेर का चोर आवे,
लाछा की गाया ले जावे,
गाया लेवण न जाय,
म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
लिलण चढ़ने तेजल जावे,
अग्नि जलतो नाग पावे,
आग में से नाग न,
बचाय म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
नागदेवता रीस खावे,
क्यु म्हारी मोक्ष छुड़ाये,
तन ही ढसुलो में आज,
म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
वचन देऊ म पाछो आऊ,
लाछा की गाया ले आऊ,
जद लिजो म्हाने खाय
म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
मीणा संग में लडी लडाई,
लाछा की गाया छुड़वाई,
घायल होकर आई,
म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
वचना बान्धयो तेजल आयो,
जिभडल्या प नाग खायो,
नाम अमर होई जाय,
म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
खेड-खेड तेज पुजायो,
रमेश प्रजापत लिखयो भायो,
कुशल राजस्थानी गाय,
म्हारा तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
आग में से नाग ने,
बचायो कंवर तेजा रे,
भली की बुरी होय जाय।।
प्रेषक – रमेश प्रजापत टोंक।