आई रे हनुमान जयंती आई,
आयी रे हनुमान जयंती आई,
बल बुध्दि और ज्ञान के दाता,
अति बलवान जगत विख्याता,
जिसने भक्ति राम की पाई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
आयी रे हनुमान जयंती आई।।
पवन पिता माँ अंजनी का,
लाल ये प्यारा प्यारा,
लाल ये प्यारा प्यारा,
जनम लिया जब दसों दिशा में,
छाया है उजियारा,
छाया है उजियारा,
जिनकी वज्र जैसी काया,
जिनके मुख पे तेज सुहाया,
जिनका नाम सदा सुखदाई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
आयी रे हनुमान जयंती आई।।
लाल सिंदूर देह पर सोहे,
लाल लंगोटे वाला,
लाल लंगोटे वाला,
नाम जपे जो हनुमान का,
एक एक संकट टाला,
एक एक संकट टाला,
कहलाते है राम दास जो,
करते है पापों का नाश जो,
जिनकी महिमा वरनी ना जाई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
आयी रे हनुमान जयंती आई।।
मारी एक छलांग तो,
सूरज मुख में दबाए,
सूरज मुख में दबाए,
दूजी भरी उड़ान तो,
लंका नगरी आप जलाए,
लंका नगरी आप जलाए,
संजीवन बूटी है लाए,
प्राण लखन के आन बचाए,
बने राम के सदा सहाई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
आयी रे हनुमान जयंती आई।।
शरण में लो सालासर वाले,
‘लख्खा’ शीश नवाए,
हम भी शीश नवाए,
ओ मेहंदीपुर वाले तेरा,
वचन ना खाली जाए,
वचन ना खाली जाए,
बन जाते बिगड़े सब काम,
जपता हूँ जब तेरा नाम,
ये बात ‘सरल’ समझाई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
आयी रे हनुमान जयंती आई।।
आयी रे हनुमान जयंती आई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
बल बुध्दि और ज्ञान के दाता,
अति बलवान जगत विख्याता,
जिसने भक्ति राम की पाई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई,
आयी रे हंनुमान जयंती आई।।
स्वर – लखबीर सिंह लख्खा जी।