आज आनंद भयो मेरी नगरी,
भयो मेरी नगरी।।
आसपास में संत बिराजे,
बिच में सदगुरु जी पलंगडी,
आज आनंद भयों मेरी नगरी।।
आसपास में गंगा जल झारी,
बिच मे अम्रत री गगरी,
आज आनंद भयों मेरी नगरी।।
कोई पहने माला टोपी,
कोई बांधत सर पगङी,
आज आनंद भयों मेरी नगरी।।
चलो सखी मिल मंगल गाओं,
जन्म जन्म की जाय सुधरी,
आज आनंद भयों मेरी नगरी।।
धर्म की अरज गुसाईं साहेब,
कबीर सा बताओ डगरी,
आज आनंद भयों मेरी नगरी।।
आज आनंद भयो मेरी नगरी,
भयो मेरी नगरी।।
स्वर – चुका बाई जी।