आज भरे दरबार करिश्मे,
दिखलाएगी मोरछड़ी,
हिरे मोती बरसेंगे,
जब लहराएगी मोरछड़ी।।
हमने भी देखे इसके,
कितने खेल निराले है,
मंदिर के पट क्या ये तो,
खोले किस्मत के ताले है,
जिसको भी छू लेगी,
मालामाल करेगी मोरछड़ी,
हिरे मोती बरसेंगे,
जब लहराएगी मोरछड़ी।।
श्याम है नैया का माझी,
तो मोरछड़ी पतवार है,
जिसको थाम के करता हमको,
भवसागर से पार है,
आज सभी भक्तो का बेड़ा,
पार करेगी मोरछड़ी,
हिरे मोती बरसेंगे,
जब लहराएगी मोरछड़ी।।
निर्धन को धन दे अंधे को,
ये आँखे दे जाती है,
इसके झाड़े से ‘सोनू’,
बाँझन भी लाल खिलाती है,
जो भी मांगोगे झोली में,
भर जाएगी मोरछड़ी,
हिरे मोती बरसेंगे,
जब लहराएगी मोरछड़ी।।
आज भरे दरबार करिश्मे,
दिखलाएगी मोरछड़ी,
हिरे मोती बरसेंगे,
जब लहराएगी मोरछड़ी।।
स्वर – सौरभ मधुकर।