आज गुरु आविया रे,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
गुरु आवन रो मैं सुनियो जी,
नाच उठयो मन मोर,
मारी सुरता शब्द सू एशी लागी,
जियू पतंग संग डोर,
आज गुरु आविया जी,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
सतगुरु मारे एक हेरे,
चाहूं नहीं कोई ओर,
ऐक घड़ी विसरु नहीं,
गुरु मारा चित चोर,
आज गुरु आविया जी,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
रेन दिवस तड़पत भई रे,
हो गयो छे भोर,
सुरता सुहागन निरखन चाली,
अपने पिया की ओर,
आज गुरु आविया जी,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
सत गुरु माने पूरा मोलिया,
देदी शब्दा वाली डोर,
दाश मलुख चरण माई निपटे,
अपने गुरु की ओर,
आज गुरु आविया जी,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
आज गुरु आविया रे,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
स्वर – श्री रामनिवास जी राव।
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