आज म्हारे आंगणिया में,
सतगुरु आया जी,
सतगुरु आया म्हारा,
बंधन छुड़ाया जी,
आज म्हारे आंगनिया में,
सतगुरु आया जी।।
हाथ में शब्दा री पोथी,
म्हारे आंगण आया जी,
शबद सुणाया म्हारा,
भरम मिटाया जी,
आज म्हारे आंगनिया में,
सतगुरु आया जी।।
कुंभ ने कलश लेने,
आरती उतारूँ जी,
मोतीया रा चौक,
पुराऊ जी पुराऊ जी,
आज म्हारे आंगनिया में,
सतगुरु आया जी।।
हाथ माहे कमंडल,
गले फूल माला जी,
द्वादश तिलक,
लगाया जी लगाया जी,
आज म्हारे आंगनिया में,
सतगुरु आया जी।।
धर्मीदास जी री अरज गुरा ने,
बिछड़योडा़ राम मिलाया जी,
मिलाया जी,
आज म्हारे आंगनिया में,
सतगुरु आया जी।।
आज म्हारे आंगणिया में,
सतगुरु आया जी,
सतगुरु आया म्हारा,
बंधन छुड़ाया जी,
आज म्हारे आंगनिया में,
सतगुरु आया जी।।
स्वर- संत श्री अमृतराम जी महाराज।
Upload By – Keshav
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