आज म्हारे ठाकुर जी रो,
ब्याह रचयो है,
हंस हंस मंगल गावों हे सहेलियों,
हिलमिल मंगल गावों हे सहेलियों।।
आवो हे सहेलियाँ आपा चौक पुरावा,
चौक पुरावा आपा कान्हा ने बैठावा,
घणा घणा लाड लडावा हे सहेलियों।।
केवड़ा गुलाब से स्नान करावा,
कर श्रृंगार आपा भोग लगावा,
पुष्पों री माला पहनावा हे सहेलियों।।
अधरामृत पर मुरली सोवे,
पीत पीताम्बर मनड़ो मोहे,
हाथों में मेहन्दी लगावा हे सहेलियों।।
कर श्रृंगार रूक्मणी ने बुलावा,
श्याम सुंदर को ब्याह रचावा,
जोड़ी रा दर्शन पावा हे सहेलियों।।
आज म्हारे ठाकुर जी रो,
ब्याह रचयो है,
हंस हंस मंगल गावों हे सहेलियों,
हिलमिल मंगल गावों हे सहेलियों।।
स्वर – संत श्री रामप्रसाद जी महाराज।
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