आज मोहे काम जरूरी,
लंका में जावण दे,
आज मेरे काम जरुरी,
लंका में जावण दे।।
रामचन्द्र घर सीता नारी,
हर ले गयो रावण बलकारी,
उसको कहूं मेरी माता री,
पतो लगावण दे,
आज मेरे काम जरुरी,
लंका में जावण दे।।
इसी काज लंका में जाता,
सीता की सारी सुध लाता,
रामचन्द्र जी का हुकम बजाता,
हुकम बजावण दे,
आज मेरे काम जरुरी,
लंका में जावण दे।।
चाहे वचन लेले मेरे से,
उलटा चाल आंऊ तेरे से,
किरपा करदे चरण तेरे से,
हाल सुणावण दे,
आज मेरे काम जरुरी,
लंका में जावण दे।।
हनुमत कहिये ऐसी बाणीं,
सुरसा चित पे एकन मानी,
रुड़चंद कहता सहलानी,
हरी गुण गावण दे,
आज मेरे काम जरुरी,
लंका में जावण दे।।
आज मोहे काम जरूरी,
लंका में जावण दे,
आज मेरे काम जरुरी,
लंका में जावण दे।।
स्वर – राजू स्वामी।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170