आजा आजा लीले चढ़के सांवरा,
पागल हुआ रे मन बावरा,
बेचैन आँखें मेरी देख ज़रा,
पागल हुआ रे मन बावरा।।
तर्ज – जाओ चाहे दिल्ली मुंबई।
आके प्यारी सूरत, अपनी दिखा दे,
अँखियों की मेरी, प्यास बुझा दे,
दिल से दिलों का, मेल करा दे,
सपने मेरे तू, सच कर दिखा दे,
सुनले ओ खाटू के राजा,
देर करो ना जल्दी आजा,
राह निहारें तेरी टाबरा,
पागल हुआ रे मन बावरा
आजा आजा लीले चढ़के साँवरा,
पागल हुआ रे मन बावरा।।
ये प्रेम का धागा, जबसे बंधा है,
जीवन ये तेरे, रंग में रंगा है,
दीवानगी का, तेरे नशा है,
ये रोग जबसे, मुझको लगा है,
हँसता है ये मुझपे ज़माना,
कहके तेरा श्याम दीवाना,
प्रीत करो ना आके और गहरा,
पागल हुआ रे मन बावरा
आजा आजा लीले चढ़के साँवरा,
पागल हुआ रे मन बावरा।।
तू प्रेमियों का, प्रेमी कहाये,
रोते हुए को, पल में हंसाये,
हारे का तू ही, साथी कहाये,
रिश्ते को सच्चे, मन से निभाए,
हे तीनो लोकों के स्वामी,
‘सोनी’ कहे तू अंतर्यामी,
‘कुंदन’ का जाने सारा माजरा,
पागल हुआ रे मन बावरा
आजा आजा लीले चढ़के साँवरा,
पागल हुआ रे मन बावरा।।
आजा आजा लीले चढ़के सांवरा,
पागल हुआ रे मन बावरा,
बेचैन आँखें मेरी देख ज़रा,
पागल हुआ रे मन बावरा।।
Singer – Sanjay Soni