आजा हो घाटे आले,
तेरी ज्योत जगाई सै,
कद का देखूं बाट,
तनै कित देर लगाई सै।।
संकट बैरी बालाजी,
यो जिद प अडरा हो-२,
तोड़े जा स गात मेरा,
यो पीछै पड़रा हो-२,
घणे दिना त चढ़री,
मेरी करडाई सै,
कद का देखूं बाट,
तनै कित देर लगाई सै।।
संकट आगै बालाजी मेरा,
चलता जोर नहीं-२,
मुझ दुखिया की अर्जी प,
तू करता गौर नहीं-२,
तेरे भगता प सुण राखी,
तेरी बडाई सै,
कद का देखूं बाट,
तनै कित देर लगाई सै।।
आकै संकट काटो,
तेरे दर पे आउगा-२,
प्रेतराज और भैरव का भी,
दर्शन पाउगा-२,
पंचमुखी से पहले बैठी,
काली माई सै,
कद का देखूं बाट,
तनै कित देर लगाई सै।।
हरिओम शर्मा के वादे ने,
तू तोड़ नहीं सकता-२,
जयप्रकाश नै बीच भवर मे,
छोड़ नहीं सकता-२,
सागर शर्मा दिल्ली में,
करै कविताई सै,
कद का देखूं बाट,
तनै कित देर लगाई सै।।
आजा हो घाटे आले,
तेरी ज्योत जगाई सै,
कद का देखूं बाट,
तनै कित देर लगाई सै।।
गायक – जयप्रकाश शर्मा।
प्रेषक – हितेश वत्स।
9958165805