आजा री प्यारी निंदिया,
आजा तू,
नैनो में आके समा जा तू,
श्री बाबोसा का,
सपना में देखूं।।
जल्दी आजा निंदिया रानी,
सपना मेरा साकार हो,
छगनी के नंदन श्री बाबोसा भगवन,
मुझको तेरा दीदार हो,
नयनो में आके समाजा तू।।
रात ढली अब आजा री निंदिया,
तुझको बुलाये अखियाँ,
क्यो तड़पाये मोहे समझ न आये,
बीत न जाये रतियाँ,
हो न जाये प्रभात रे।।
अँखियों पर हो पहरा तेरा,
हो जीवन में सवेरा,
सपना संजोता ‘दिलबर’ जो तेरा,
ख्वाब रहे न अधूरा।।
आजा री प्यारी निंदिया,
आजा तू,
नैनो में आके समा जा तू,
श्री बाबोसा का,
सपना में देखूं।।
गायिका – श्रीमति सुजाता त्रिवेदी।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365