आजा शरण करले हरि का भजन,
तेरा जीवन सफल प्राणी हो जाएगा,
लगता नही है कुछ तेरा,
लगता नही है कुछ तेरा।।
तर्ज – आजा सनम मधुर चाँदनी।
धीरे धीरे स्वाँस ये,
तेरी यूँ बीत जाएगी,
कँचन सी काया ये,
काम न तेरे कुछ आएगी,
तरने का करले जतन,
ध्यान धर गुरू के बचन,
करलै गुरू को नमन,
आ भी जा तू गुरू शरण,
आजा शरण करले हरी का भजन,
तेरा जीवन सफल प्राणी हो जाएगा,
लगता नही है कुछ तेरा,
लगता नही है कुछ तेरा।।
दुनिया मे तू ने बहुत,
काम प्राणी सब ही किए,
पर तू ने कुछ न किया,
काम अपने खुद के लिए,
ओ मुसाफिर तू सँभ्हल,
किस ने देखा है कल,
घर से तू बाहर निकल,
करले जीवन सफल,
आजा शरण करले हरी का भजन,
तेरा जीवन सफल प्राणी हो जाएगा,
लगता नही है कुछ तेरा,
लगता नही है कुछ तेरा।।
जब तू जग से जाएगा,
प्रभु को क्या बतलाएगा,
ले कर तू कुछ आया था,
पर ले कर क्या जाएगा,
जग मे फँस के रह गया,
काम कुछ नही किया,
जन्म को विफल किया,
नाम न हरि का लिया,
आजा शरण करले हरी का भजन,
तेरा जीवन सफल प्राणी हो जाएगा,
लगता नही है कुछ तेरा,
लगता नही है कुछ तेरा।।
आजा शरण करले हरि का भजन,
तेरा जीवन सफल प्राणी हो जाएगा,
लगता नही है कुछ तेरा,
लगता नही है कुछ तेरा।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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