आलूसिंह जी ने,
सारे जग में डंका बजाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने।।
तर्ज – एक तेरा साथ।
सच्चे मन से जो भी,
जब ध्यान लगाएगा,
मेरे श्याम को पाएगा,
दिया ज्ञान गुरुवर ने,
वो भव से तरेगा,
वो मन से रिझाएगा,
सब देवों में श्याम,
मेरा दातारि कहलाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने,
सारे जग में डंका बजाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने।।
ले मोरछड़ी जब भी,
कीर्तन किया गुरुवर,
मनाया श्याम को,
मुर्दो में जान आई,
लूले चले उठकर,
दिखाया काम को,
मोरछड़ी का जादू,
सारे भक्तों को दिखाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने,
सारे जग में डंका बजाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने।।
मेरे श्याम बिहारी पर,
जिसको अटल विश्वास,
उसका कल्याण है,
‘राखी’ कहे बाबा,
पल में बनाए काम,
रखता ध्यान है,
सेवक गुरुवर सा,
मेरे श्याम जी को भाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने,
सारे जग में डंका बजाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने।।
आलूसिंह जी ने,
सारे जग में डंका बजाया है,
हमें श्याम से मिलाया है,
आलुसिंह जी ने।।
स्वर – महाराज श्री श्याम सिंह जी चौहान।