आनंद ले लो रे सत्संग का,
ये मौका मिले ना बारंबार,
भजन करलो रे परमानंद का,
मौका मिले ना बारंबार।।
लख चौरासी भरमि न आयो,
भाग्य बड़ा रे मानुष तन पायो,
अवसर आया संत मिलन का,
मौका मिले ना बारंबार।।
बिन सत्संग कोई ज्ञान ना पावे,
सद्गुरु बिन तोहे कौन बतावे,
जतन कुछ करलो रे इस तन का,
मौका मिले ना बारंबार।।
हरि भजन सत संगत करलो,
गुरु शबद को ध्यान जो धरलो,
भरम सब मिट जाए तेरे मन का,
मौका मिले ना बारंबार।।
आनंद ले लो रे सत्संग का,
ये मौका मिले ना बारंबार,
भजन करलो रे परमानंद का,
मौका मिले ना बारंबार।।
गायक – अश्विन जी यदुवंशी।
प्रेषक – जितेन्द्र विश्वकर्मा।
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