आनंद मंगलाचार,
सिंगाजी घर,
आनन्द मंगलाचार।।
निर्गुण का गुण,
कसा हम गावा रे,
गुण को अंत नी पार,
सिंगाजी घर,
आनन्द मंगलाचार।।
ज्ञान गंगा की निर्मल धारा,
सत्संग होय दिनरात,
सिंगाजी घर,
आनन्द मंगलाचार।।
होत भंडारा नित का नया रे,
पावां छे महापरसाद,
सिंगाजी घर,
आनन्द मंगलाचार।।
आनंद मंगलाचार,
सिंगाजी घर,
आनन्द मंगलाचार।।
प्रेषक – प्रमोद पटेल।
यूट्यूब पर – 1.निमाड़ी भजन संग्रह।
2.प्रमोद पटेल सा रे गा मा पा
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