आओ आपा मिलकर चाला,
जठे चुरू धाम जी,
जठे अटकियोडा बण जासी,
थारा सगळा काम जी,
लागी लागी रे लगन,
बाबोसा रे नाम री,
दुनिया हुई है दीवानी,
ईण चुरू धाम री।।
तर्ज – मेहंदी राचन लागी हाथा में।
मूरत सुहानी थारी,
प्यारो प्यारो मुखड़ो,
चम चम चमके जंय्या,
चाँद रो टुकड़ो,
बरसे नैना सु अमीरस,
देखो अविराम जी,
दुनिया हुई है दीवानी,
ईण चुरू धाम री।।
बाबोसा ने देख भगता,
होया है निहाल जी,
जादू सो कर गयो,
माँ छगनी रो लाल जी,
संकट सारा ही हर लेवे,
बाबोसा रो नाम जी,
दुनिया हुई है दीवानी,
ईण चुरू धाम री।।
चूरू में बणियो थारो,
धाम ओ न्यारो,
केवे मंजू बाईसा ओ,
लागे घणो प्यारो,
‘दिलबर’ केवे भक्ता चालो,
चाला चुरू धाम जी,
वठे अटकियोडा बण जासी,
थारा सगळा काम जी,
लागी लागी रे लगन,
बाबोसा रे नाम री,
दुनिया हुई है दीवानी,
ईण चुरू धाम री।।
आओ आपा मिलकर चाला,
जठे चुरू धाम जी,
जठे अटकियोडा बण जासी,
थारा सगळा काम जी,
लागी लागी रे लगन,
बाबोसा रे नाम री,
दुनिया हुई है दीवानी,
ईण चुरू धाम री।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365