आओ हमारे द्वार पे,
मोहन कभी कभी।
दोहा – वो दिन भी होगा करुणाकर,
हम पर करुणा बरसाएंगे,
हम रो कर अर्ज सुनाएंगे,
वो हसकर पास बुलाएंगे।
आओ हमारे द्वार पे,
मोहन कभी कभी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
चितवन कभी कभी,
आओ हमारे द्वार भी,
मोहन कभी कभी।।
तर्ज – मिलती है ज़िन्दगी में।
माना की दीन हिन है,
भक्ति ना भाव है,
अधमो को भी देते रहो,
दर्शन कभी कभी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
चितवन कभी कभी,
आओ हमारे द्वार भी,
मोहन कभी कभी।।
आओ की ऐसे रूप में,
पहचान ले तुम्हे,
रोली तिलक हो भाल पर,
चंदन कभी कभी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
चितवन कभी कभी,
आओ हमारे द्वार भी,
मोहन कभी कभी।।
माथे मोर पंख हो,
काँधे पे कामली,
हाथों में बांसुरी हो,
सुदर्शन कभी कभी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
चितवन कभी कभी,
आओ हमारे द्वार भी,
मोहन कभी कभी।।
आओ हमारे द्वार पे,
मोहन कभी कभी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
हम पर भी हो करुणा भरी,
चितवन कभी कभी,
आओ हमारे द्वार भी,
मोहन कभी कभी।।
गायक – दिनेश जी गोस्वामी।