आओ जी श्री श्याम,
म्हारे जगराते में।।
भगतो ने तेरी जोत जलाई,
आओ श्याम क्यों देर लगाई,
बैठे नर और नार,
म्हारे जगराते में।।
तेरे नाम का हो रया जगराता,
बैठे सुन रहे बहन भ्राता,
ये शाम आपके नाम,
म्हारे जगराते में।।
भगत देख रे बाट साँवरे,
कौन सी लागी आँट सावरे,
के होग्या इसा काम,
म्हारे जगराते में।।
धर्मबीर शर्मा छन्द गावै,
श्याम चरण में शीश झुकावे,
खास राजगढ़ गाम,
म्हारे जगराते में।।
आओ जी श्री श्याम,
म्हारे जगराते में।।
लेखक – धर्मबीर शर्मा राजगढ़ (भिवानी)
गायक – राकेश जांगड़ा राजगढ़ (भिवानी)