आओ नवकार का जाप हम करे,
सुबह शाम आठो याम ध्यान हम धरे।।
तर्ज – देखा एक ख्वाब तो।
मंत्रो में मंत्र बड़ा प्यारा है,
जान से ज्यादा हमको प्यारा है,
सुबह शाम आठो याम ध्यान हम धरे,
आओं नवकार का जाप हम करे।।
अडसठ अक्षरो से ये सोभित है,
नवपद जिसमें सदा वंदित है,
देव और दानव जिसका सुमिरन करे,
आओं नवकार का जाप हम करे।।
पंच परमेष्टि जिसमे पावन है,
अष्ट सिद्धि भी मन भावन है,
ये महामंत्र सारे दुख दर्द हरे,
आओं नवकार का जाप हम करे।।
दास ‘दिलबर’ का यही कहना है,
तन का श्रंगार यही गहना है,
मंत्र नवकार को हम वंदना करे,
आओं नवकार का जाप हम करे।।
आओ नवकार का जाप हम करे,
सुबह शाम आठो याम ध्यान हम धरे।।
गायक / लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365