आरती गंगा मैया की कीजे,
दोहा – भवसागर से तार कर,
करती मोक्ष प्रदान,
भागीरथ तप से मिलीं,
गंगा जी वरदान।
माँ गंगा के स्नान से,
कटते पाप तमाम,
निशदिन करके आरती,
उनको करें प्रणाम।
गंगा गीता गाय को,
प्यार करें भगवान,
मानव इसको भूल कर,
करता बस अभिमान।
आरती गंगा मैया की कीजे,
बास बीखूंटों रा परम सुख लीजे।।
स्वर्ग लोक से गंगा माई आयी,
शिव रे मुकुट में आय समायी,
आरती गंगा मईया की कीजे।।
सेवा कर वे भागीरथ लीनी,
मृत्यु लोक में प्रकट कीनी,
आरती गंगा मईया की कीजे।।
निज मन होय ध्यावे नर कोई,
कर्म कटे मन निर्मल होई,
आरती गंगा मईया की कीजे।।
पान फूल रे गेंदों रा चढ़ावा,
कर कर दर्शन मैया शीश निवावा,
आरती गंगा मईया की कीजे।।
चरण दास सुखदेव बखाणी,
अधम उद्दारण मैया सब जग जाणी,
आरती गंगा मईया की कीजे।।
आरती गंगा मईया की कीजे,
बास बीखूंटों रा परम सुख लीजे।।
गायक – दारम जी पँवार।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052