आरती गिरिजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
मुकुट मस्तक पर है न्यारा,
हाथ में अंकुश है प्यारा,
गले में मोतियन की माला,
उमा सूत देवों में आला,
प्रथम सब तुमको नमन करे,
सदा सुर नर मुनि ध्यान धरे,
करें गुणगान,
मिटे अज्ञान,
होए कल्याण,
मिले भक्ति भव भंजन की,
गजानन असुर निकंदन की,
आरती गिरजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
बाल हठ पितु से तुम किनी,
माता की आज्ञा सिर लीना,
पूर्ण प्रण तुम अपना कीना,
अंत में मस्तक दे दीना,
हुई सुन क्रोधित जग माता,
कहा क्या कीन्हा शिव दाता,
कहाँ है माथ,
पुत्र का नाथ,
देव मम हाथ,
वरण हो निंदा देवन की,
गजानन असुर निकंदन की,
आरती गिरजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
चकित भए सुनके कैलाशी,
करूँ मैं जीवित अविनाशी,
गणों से जो बोले वाणी,
शीघ्र ही लाओ कोई प्राणी,
जिसे भी पैदा तुम पाओ,
मनुष्य हो या पशु ले आओ,
तुरंत बन जाए,
शीश गज लाए,
दिया जुड़वाएं,
खुशी की मां ने सुतधन की,
गजानन असुर निकंदन की,
आरती गिरजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
हुए गणराजा बल धारी,
बुद्धि विद्या के अवतारी,
सकल कारज में हो सिद्धि,
ढुराबें चंवर सदा रिद्धि,
आप हैं मंगल के स्वामी,
जानते सब अंतर्यामी,
दयालु आप,
हरो संताप,
क्षमा हों पाप,
सुधि अब लीजे भक्तन की,
गजानन असुर निकंदन की,
आरती गिरजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
आस पूरी कीजे मेरी,
लगाई क्यों तूने देरी,
दरस देना जी आप गणेश,
मिटाना दुख दरिद्र क्लेश,
जगत में रखना मेरी लाज,
विनय भक्तन की है गणराज,
मैं हूं नादान,
मिले सत्य ज्ञान,
देवो वरदान,
करें सेवा नित्य चरणन की,
गजानन असुर निकंदन की,
आरती गिरजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
आरती गिरिजा नंदन की,
गजानन असुर निकंदन की।।
प्रेषक – दुर्गा प्रसाद पटेल।
(सरस्वती मंडल समन्ना)
9713315873
Bahut acchi Thi Aarti ek number mere ko Yahi Aarti Gata hun Iske writer Kaun Hain unko shak shak Satya Pranam dhanyvad Bhajan Diary ko bhi