आस राखो सतगुरु की,
जग की सब आस तजो,
जग की है आस झूठी,
आस राखों सतगुरु की।।
सतगुरु की प्रीत सच्ची,
सतगुरु की प्रीत सच्ची,
जग सारा स्वारथ का,
जग की है प्रीत कच्ची,
आस राखों सतगुरु की।।
सतगुरु उपकारी है,
सतगुरु उपकारी है,
है निरत सदा हित में,
सबके हितकारी हैं,
आस राखों सतगुरु की।।
जो भी चरण शरण आये,
जो भी चरण शरण आये,
भक्ति का धन पाकर,
वो मालामाल जाएँ,
आस राखों सतगुरु की।।
प्यारे ले ले गुरु की शरण,
प्यारे ले ले गुरु की शरण,
अरे सेवा के नियम निभा,
करले तू सफल जीवन,
आस राखों सतगुरु की।।
आस राखो सतगुरु की,
जग की सब आस तजो,
जग की है आस झूठी,
आस राखों सतगुरु की।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी।