आशाओं का हुआ खात्मा,
दिल की तमन्ना बनी रही,
जब परदेशी हुआ रवाना,
सुंदर काया पड़ी रही।।
एक पंडित जी अपने घर में,
पत्रा देखा करते थे,
जनम मरण के जन्म कुंडली,
लेखा जोखा करते थे,
जब मरने का टाइम आया,
पोथी उनकी धरी रही,
जब परदेशी हुआ रवाना,
सुंदर काया पड़ी रही।।
एक सेठ दुकान पे बैठे,
घटा नफा सब जोड़ रहे,
किस से हमको कितना लेना,
बहीं के पन्ने मोड रहे,
काल बलि का लगा तमाचा,
कलम कान पर धरी रही,
जब परदेशी हुआ रवाना,
सुंदर काया पड़ी रही।।
एक डॉक्टर अपने घर से,
करन दवा तैयार हुए,
दवा उठा के बेग में रखी,
मोटर कार सवार हुए,
फिसली कार गिरी गड्ढे में,
दवा बेग मैं धरी रही,
जब परदेशी हुआ रवाना,
सुंदर काया पड़ी रही।।
वाह वाह रे क्या कहूं भाई,
ईश्वर की है यही गति,
जिसको जिस टाइम है जाना,
फर्क का ना होगा एक रति,
जिसने प्रभु का भजन किया है,
उसकी कमाई खरी रही,
Bhajan Diary Lyrics,
जब परदेशी हुआ रवाना,
सुंदर काया पड़ी रही।।
आशाओं का हुआ खात्मा,
दिल की तमन्ना बनी रही,
जब परदेशी हुआ रवाना,
सुंदर काया पड़ी रही।।
Singer – Pandit Suresh Chandra Awasthi Ji
Upload By – Manish Sondhiya