आते है बाबा श्याम को,
जादू कमाल के,
मुझको ले जा रहे है,
मुझसे निकाल के।।
तर्ज – मिलती है जिंदगी में।
देखा जो तुझको साँवरे,
तेरा ही हो गया,
होकर दीवाना साँवरे,
तेरी धुन में खो गया,
बन गया तेरा गुलाम मैं,
दुनिया को भूल के,
मुझको ले जा रहे है,
मुझसे निकाल के।।
अमृत बरस रहा प्रभु,
दरबार में तेरे,
प्यासा पड़ा हूँ साँवरे,
चरणों में मैं तेरे,
मस्ती का जाम दे दिया,
बाबा तू घोल के,
मुझको ले जा रहे है,
मुझसे निकाल के।।
हर पल कन्हैया मैं तेरे,
सपनों में हूँ खोया,
ना जाने श्याम कब से मैं,
तेरा ही हो गया,
‘कृष्णा’ तू ले शरण में अब,
दरवाजे खोल दे,
मुझको ले जा रहे है,
मुझसे निकाल के।।
आते है बाबा श्याम को,
जादू कमाल के,
मुझको ले जा रहे है,
मुझसे निकाल के।।
गायक – निशांत सिंगला।
लेखन – विकास अग्रवाल ‘कृष्णा’
रायगढ़, छत्तीसगढ़।
9981970025