आया दीप उत्सव ये सुहाना,
ज्योति प्रेम की मिलके जगाना,
के दिन बड़ा पावन है,
घर घर पर दीप जलाओ,
के आज हर्षित मन है,
ये पर्व मनभावन है।।
एक साल के बाद देखो,
फिर ये पर्व आया है,
घर मन्दिर दुकान को,
सभी ने आज सजाया है,
मेवा मिठाई का थाल सजाना,
प्रेमीजनों को घर पे बुलाना,
के दिन बड़ा पावन है,
घर घर पर दीप जलाओ,
के आज हर्षित मन है,
ये पर्व मनभावन है।।
राम लक्ष्मण जानकी,
अयोध्या इस दिन आये थे,
दीप जलाकर स्वागत में,
नर नारी हर्षाये थे,
भाव भक्ति के दीप जलाना,
खुशियो से ये पर्व मनाना,
के दिन बड़ा पावन है,
घर घर पर दीप जलाओ,
के आज हर्षित मन है,
ये पर्व मनभावन है।।
दीपो का त्योहार लाये,
नई रोशनी जीवन में,
अमन चेन हो भारत में,
यही कामना है मन में,
‘दिलबर’ को संग में लाना,
फिर ‘भरत’ ये पर्व मनाना,
दिलबर को संग में लाना,
फिर नितिंन ये पर्व मनाना,
के दिन बड़ा पावन है,
घर घर पर दीप जलाओ,
के आज हर्षित मन है,
ये पर्व मनभावन है।।
आया दीप उत्सव ये सुहाना,
ज्योति प्रेम की मिलके जगाना,
के दिन बड़ा पावन है,
घर घर पर दीप जलाओ,
के आज हर्षित मन है,
ये पर्व मनभावन है।।
गायक – नितिंन जैन विजयनगर।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365