आया हूँ दर तुम्हारे,
जाने ना दे ओ प्यारे,
धुतकारते मुझे वो,
धुतकारते मुझे वो,
जिनका मैं हूँ सगा रे,
आया हूं दर तुम्हारें,
जाने ना दे ओ प्यारे।।
तर्ज – तुझे भूलना तो चाहा।
इक बार मेरे बाबा,
किस्मत मेरी संवारो,
सबको तुम्ही ने तारा,
मुझको भी तो निहारो,
कोई नहीं है मेरा,
कोई नहीं है मेरा,
चरणों में दो जगह रे,
आया हूं दर तुम्हारें,
जाने ना दे ओ प्यारे।।
अब तक हर एक पल ये,
रो रो के है निकाला,
क्या चाहता जता दे,
आज भी रुलाया,
बस हार के ही आया,
बस हार के ही आया,
जीत नहीं यहाँ से,
आया हूं दर तुम्हारें,
जाने ना दे ओ प्यारे।।
इस ‘श्याम’ ने तो तुझको,
तेरे नाम से पुकारा,
भक्तों ने जो बताया,
वहीं नाम मैंने गाया,
ॐ श्री श्याम देवाय नमः,
ॐ श्री श्याम देवाय नमः,
जपते सभी यहाँ रे,
आया हूं दर तुम्हारें,
जाने ना दे ओ प्यारे।।
आया हूँ दर तुम्हारे,
जाने ना दे ओ प्यारे,
धुतकारते मुझे वो,
धुतकारते मुझे वो,
जिनका मैं हूँ सगा रे,
आया हूं दर तुम्हारें,
जाने ना दे ओ प्यारे।।
लेखक – श्याम सुंदर बावला।
9589606200