हारा हूँ मैं जग से बाबा,
सुनले मेरी पुकार,
नैया मेरी डोल रही है,
उसे लगा दो पार,
सुनलो बाबा विनती मेरी,
सनलो मेरी कहानी,
सुनलो मेरी खाटू वाले,
सुनलो शीश के दानी,
आया मैं बाबा तेरे द्वार,
आया मै बाबा तेरे द्वार।।
तर्ज – उड़ जा काले कावां।
तुमसे मिलकर बाबा मुझको,
प्यार मिलता है,
तेरी दया से बाबा घर का,
चूल्हा जलता है,
इस निर्धन की बाबा तूने,
पकड़ी ऐसी कलाई,
इस जग की दिखादी है बाबा,
मुझको अब सच्चाई,
आया मै बाबा तेरे द्वार,
आया मै बाबा तेरे द्वार।।
जीवन में था घोर अंधेरा,
पग पग में थे काटे,
किसको सुनाओ दिल की बाते,
कोई ना दुख को बांटे,
तेरे सिवा मेरा कोई नही है,
सुन ले खाटू वाले,
तू ही हमेशा गिरते हुए को,
अपने आप संभाले,
आया मै बाबा तेरे द्वार,
आया मै बाबा तेरे द्वार।।
तीन बाण तरकश में तेरे,
चले तो ना रुक पाए,
बीच भंवर में जो भी अटके,
तुम्हे आवाज लगाए,
तीनो बाणों में से बाबा,
एक ही बाण चला दो,
भेदा था पत्तों को जैसे,
मेरी विपदा मिटा दो,
आया मै बाबा तेरे द्वार,
आया मै बाबा तेरे द्वार।।
इस लायक मैं नहीं था फिर भी,
मुझे बुलाया खाटू,
तू ही बता अब तेरा सिवा मैं,
दर्द किससे बाटूं,
‘सुखवानी’ के सर पे तुमने,
जबसे हाथ को फेरा,
‘जगदीश’ मेरे इस जीवन में,
कर दिया है सवेरा,
आया मै बाबा तेरे द्वार,
आया मै बाबा तेरे द्वार।।
हारा हूँ मैं जग से बाबा,
सुनले मेरी पुकार,
नैया मेरी डोल रही है,
उसे लगा दो पार,
सुनलो बाबा विनती मेरी,
सनलो मेरी कहानी,
सुनलो मेरी खाटू वाले,
सुनलो शीश के दानी,
आया मैं बाबा तेरे द्वार,
आया मै बाबा तेरे द्वार।।
गायक – कमल कान्हा सुखवानी।
9414291164