आया ना अभी तक बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है।।
खाकर शक्ति क्यों लेट गए,
क्यों मुझको अकेला छोड़ गए,
जागो मेरे लक्ष्मण संगी,
अब रात गुजरने वाली है,
आया न अभी तक बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है।।
सीता जी पहले छिना गई,
अब तुम भी जाने वाले हो,
अब किससे कहुं दिल की बातें,
अब रात गुजरने वाली है,
आया न अभी तक बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है।।
लंका रावण को ही देकर,
कपियों से वापस कर देगें,
अब भक्त विभीषण जाये कहाँ,
अब रात गुजरने वाली है,
आया न अभी तक बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है।।
इतने में हनुमंत दीख पड़े,
जय जय कपिधर बोल उठे,
सब मिलके कहो जय बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है,
आया न अभी तक बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है।।
आया ना अभी तक बजरंगी,
अब रात गुजरने वाली है।।
प्रेषक – ममता संजय कर्ण।