शिव जी की महिमा अपरम्पार है,
आया शिवरात्रि का त्यौहार है,
चरणों में नतमस्तक संसार है,
आया शिवरात्रि का त्यौंहार है।।
तर्ज – साजन मेरा उस पार।
जिनके उर में सर्पो की माला है,
भस्म रमाए बैठा डमरू वाला है,
जिनके उर में सर्पो की माला है,
भस्म रमाए बैठा डमरू वाला है,
सिर पर जिनके गंगा की धार है,
दुनिया उनकी करती जय जयकार है,
शिव जी की महिमा अपरम्पार है,
आया शिवरात्रि का त्यौंहार है।।
भांग धतूरा बेल पत्र ले आए है,
गंगा जल में अक्षत फूल सजाए है,
भांग धतूरा बेल पत्र ले आए है,
गंगा जल में अक्षत फूल सजाए है,
होंठों पे भरे बस ओमकार है,
शिवजी के मंत्रो का गुंजार है,
शिव जी की महिमा अपरम्पार है,
आया शिवरात्रि का त्यौंहार है।।
ईच्छा जन जन की ये पूरी करते है,
झोली हरदम भक्तों की ये भरते है,
ईच्छा जन जन की ये पूरी करते है,
झोली हरदम भक्तों की ये भरते है,
दर्शन करने से ही उद्धार है,
गजब ‘अनुज देवेंद्र’ इनका शृंगार है,
शिव जी की महिमा अपरम्पार है,
आया शिवरात्रि का त्यौंहार है।।
शिव जी की महिमा अपरम्पार है,
आया शिवरात्रि का त्यौहार है,
चरणों में नतमस्तक संसार है,
आया शिवरात्रि का त्यौंहार है।।
स्वर – देवेंद्र पाठक जी महाराज।