आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
नाम हरी का साथ जाएगा,
और तू कुछ ना ले जाएगा,
आएगा जब रे बुलावा हरि का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा।।
राग द्वेष में हरी बिसरायो,
भूल के निज को जनम गवायो,
भूल के निज को जनम गवायो,
आएगा जब रे बुलावा हरि का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा।।
सुमिरन की साची कमाई,
झूठी जग की सब है सगाई,
झूठी जग की सब है सगाई,
आएगा जब रे बुलावा हरि का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा।।
अर्जी कर तू हरी से ऐसी,
भक्ति मिले मीरा की जैसी,
भक्ति मिले मीरा की जैसी,
आएगा जब रे बुलावा हरि का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा।।
हाथ तेरे जीवन की बाज़ी,
भक्ति से कर तू हरी को राज़ी,
भक्ति से कर तू हरी को राज़ी,
आएगा जब रे बुलावा हरि का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा।।
आएगा जब रे बुलावा हरी का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा,
नाम हरी का साथ जाएगा,
और तू कुछ ना ले जाएगा,
आएगा जब रे बुलावा हरि का,
छोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगा।।
स्वर – अनूप जलोटा जी।
प्रेषक – शिवाय सोनी
9929193537
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