आई बसंत ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे,
जन्मे बाबोसा हुई धरती ये पावन,
सजी नगरी सजे घर और आँगन,
है झूमो नाचो गावो ख़ुशियाँ मनाओ,
के गाओ आज बधाई रे,
आई बसन्त ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे।।
जिस पल का हमे था इंतजार,
वो पल आया हमारे द्वार,
जन्म हुआ बाबोसा का,
देखो झूम रहा सारा संसार,
जन्मे बाबोसा हुई धरती ये पावन,
सजी नगरी सजे घर और आँगन,
है झूमो नाचो गावो ख़ुशियाँ मनाओ,
के गाओ आज बधाई रे,
आई बसन्त ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे।।
बालाजी ने वरदान दिया,
बाबोसा ने जन्म लिया,
मनुष्य रूप में आये बाबोसा,
चूरू नगर को धन्य किया,
जन्मे बाबोसा हुई धरती ये पावन,
सजी नगरी सजे घर और आँगन,
है झूमो नाचो गावो ख़ुशियाँ मनाओ,
के गाओ आज बधाई रे,
आई बसन्त ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे।।
कलयुग के है ये भगवान,
कोई ओर नही ये स्वयं हनुमान,
“दिलबर” आओ करे गुणगान,
गाये बाबोसा की कथा महान,
जन्मे बाबोसा हुई धरती ये पावन,
सजी नगरी सजे घर और आँगन,
है झूमो नाचो गावो ख़ुशियाँ मनाओ,
के गाओ आज बधाई रे,
आई बसन्त ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे।।
आई बसंत ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे,
जन्मे बाबोसा हुई धरती ये पावन,
सजी नगरी सजे घर और आँगन,
है झूमो नाचो गावो ख़ुशियाँ मनाओ,
के गाओ आज बधाई रे,
आई बसन्त ऋतु आई रे,
बाजे ढोल नगाड़े शहनाई रे।।
गायक – दिव्यांश वर्मा मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365