आयो फागणिये को मेलो,
सारा संग चालो,
सारा साथे चालो,
ले लो हाथां में निशान,
लुल लुल घूमर घालो।।
तर्ज – मीठे रस से भरयोड़ी राधा।
रंग बंसती अंग बसन्ती,
धरती भी सरसायी,
धरती भी सरसों की बाबा,
थारी ध्वजा बनाई,
लुलती,डुलती सरसों कहवे,
हालो-हालो हालो,
थोड़ा जल्दी रे चालो,
ले लो हाथां में निशान,
लुल लुल घूमर घालो।।
कद चालाँगा,कद पुगाँला,
श्याम प्रेमी यूँ बतलावें,
म्हाने भी ले चालो ढोला,
घरवाली यूँ समझावै,
दे घर की चिंता छोड़,
बाबो आप रूखालो,
श्याम खाटूवालो,
ले लो हाथां में निशान,
लुल लुल घूमर घालो।।
चालो भाईडा चालो रे चालो,
अब ना देर लगाओ,
थक जावे गर तन थारो तो,
जयकारों लगाओ,
कियाँ थकस्याँ आपाँ,
रखवालों जद खाटूवालो,
नीली छतरी वालो,
ले लो हाथां में निशान,
लुल लुल घूमर घालो।।
श्याम रंग में रंग ज्याँवाला,
खेल के था संग होली,
नाचती गाती हर बर आसी,
थारा टाबरियाँ की टोली,
थे तो ध्यान राखियजो बाबा,
‘सर्वा’ भोलो-भालो,
हूँ टाबर थारो,
ले लो हाथां में निशान,
लुल लुल घूमर घालो।।
आयो फागणिये को मेलो,
सारा संग चालो,
सारा साथे चालो,
ले लो हाथां में निशान,
लुल लुल घूमर घालो।।
लेखक / प्रेषक – संजय आचार्य।
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