जब संत मिलन हो जाए,
तेरी वाणी हरि गुण गाए,
तब इतना समझ लेना,
अब हरी से मिलन होगा,
अब हरी से मिलन होंगा।।
नहीं क्रोध किसी पर आवे,
सब में ही नज़र वो आवे,
तब इतना समझ लेना,
अब हरी से मिलन होंगा।।
आँखों से आंसू आए,
दिन रात नज़र हरि आए,
तब इतना समझ लेना,
अब हरी से मिलन होंगा।।
कोई दूजा ना मन को भाए,
दर्शन को मन ललचाए,
तब इतना समझ लेना,
अब हरी से मिलन होंगा।।
जब संत मिलन हो जाए,
तेरी वाणी हरि गुण गाए,
तब इतना समझ लेना,
अब हरी से मिलन होगा,
अब हरी से मिलन होंगा।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।