घनी देर से आयो कोन्या,
मनडो हुयो अधीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर,
अब तो आजा श्रवण वीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
अरे तिरथ तिरथ गणों रे गुमायो,
कीयो धर्म में सिर,
मामा जी के राज के माई,
आ पहच्यो आखिर,
अब तों आजा श्रवणवीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
आधी रात अंधेरो रे बेटा,
कहा शरवर कहा नीर,
प्यास का मार्या होट सुखग्या,
टुट्यो जाय शरीर,
अब तों आजा श्रवणवीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
जा शरवर में घडो डुबोयो,
भरबा लागो नीर,
दशरथ विने जाण सिंगडो,
छोड्यो कर से तीर,
अब तों आजा श्रवणवीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
तीर लग्या श्रवण को हंसो,
उड गयो छोड़ शरीर,
दशरथ लेकर चाल्यो कमंडल,
कापे हाथ शरीर,
अब तों आजा श्रवणवीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
अरे सिंह भरोसे श्रवण मार्यो,
फुट गई तकदीर,
हाय पुत्र के कर ‘मालुणी’,
छोड्या प्राण शरीर,
अब तों आजा श्रवणवीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
घनी देर से आयो कोन्या,
मनडो हुयो अधीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर,
अब तो आजा श्रवण वीर,
मात पिता जंगल में प्यासा,
कौन पीलावे नीर।।
गायक – देव शर्मा आमा।
8290376657