अब तो आकर बांह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊंगा,
सागर इतना गहरा है की,
डूब प्रभु मैं जाऊंगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊंगा।।
तर्ज – कस्मे वादे प्यार वफ़ा।
क्रोध के कारण अंधे होकर,
तुमको भी ललकार दिया,
जब जी चाहा पूजा की और,
जब चाहा दुत्कार दिया,
नादानी की आड़ में कबतक,
गलती मैं दोहराऊंगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊंगा।।
कुछ तो मेरे करम है ऐसे,
जिन पर मैं शर्मिंदा हूँ,
सिर पे कर्ज है दुनिया का बस,
इसीलिए मैं जिन्दा हूँ,
तुमने भी मुंह फेर लिया तो,
और कहाँ मैं जाऊंगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊंगा।।
अब तो आकर बांह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊंगा,
सागर इतना गहरा है की,
डूब प्रभु मैं जाऊंगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊंगा।।
Singer – Ravi Raj