काम चले ना चाँदी से,
काम चले ना सोने से,
अब तो काम चले मेरा,
बाबा का दर्शन होने से।।
श्याम तेरे दर्शन का,
क्या पैसा लागे,
तेरे को दे दुँगा,
जो भी तू माँगे,
काम चले ना हँसने से,
काम चले ना रोने से,
अब तो काम चलें मेरा,
बाबा का दर्शन होने से।।
ईतना बता,
तुझे कैसे रिझाऊँ,
रस्ता बता,
उस रस्ते से आऊँ,
काम चले ना लेने से,
काम चले ना देने से,
अब तो काम चलें मेरा,
बाबा का दर्शन होने से।।
कोई तो होगा,
तेरा ठिकाना,
‘बनवारी’ मुझकों,
पता बताना,
काम चले ना जीने से,
काम चले ना मरने से,
अब तो काम चलें मेरा,
बाबा का दर्शन होने से।।
काम चले ना चाँदी से,
काम चले ना सोने से,
अब तो काम चले मेरा,
बाबा का दर्शन होने से।।
स्वर – श्री श्याम सिंह जी चौहान।