अब तो सारा दु:ख भूलगी म्हारी हेली,
अब तो सारा दुख भूलगी मारी हेली,
राम रतन धन पाय रे,
राम रतन धन पाय।।
पुरूष विदेही खेले आंगने मारी हेली,
पुरूष विदेही खेले आंगने मारी हेली,
खेल रयो दिन रात रे,
खेल रयो दिन रात,
गूंगे मन सपनो भयो मारी हेली,
गूंगे मन सपनो भयो मारी हेली,
समझ समझ मुस्काय रे,
समझ समझ मुस्काय।।
ओर सखी पीली भई मारी हेली,
ओर सखी पीली भई मारी हेली,
तू क्यु भई है लाल रे,
तू क्यु भई है लाल,
अविनाशी री सेज पे मारी हेली,
अविनाशी री सेज पे मारी हेली,
पोढत हो गई न्याल रे,
पोढत हो गई न्याल।।
अविनाशी री सेज रा मारी हेली,
अविनाशी री सेज रा मारी हेली,
केवु केडा उन माद रे,
केवु केडा उन माद,
कैया सुनीया सु मानु नही मारी हेली,
कैया सुनीया सु मानु नही मारी हेली,
परखीया ही परियाण रे,
परखीया ही परियाण।।
पति व्रता पिहर बसे हेली मारी,
हेलो ओ सुरता मारी हेलो,
हिरदे पियाजी रो ध्यान हेली ओ।।
अब तो सारा दु:ख भूलगी म्हारी हेली,
अब तो सारा दुख भूलगी मारी हेली,
राम रतन धन पाय रे,
राम रतन धन पाय।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
Uncho h mhari heli ye sayan ko Darbar bhajan ki lirix bhejo