अबकी बितरी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
कोई के लागे आंखियां चश्मों,
कोई के टेलीफोन,
कोई पड़ियां माचा माहीं,
रोटी ना देवे पोन,
केवे बापड़ी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
बेटा पोता केणो ना करता,
भसतो रेवे खांपो,
माल खाय ने तन बण आयो,
काम ना आयो काको,
बणगियो भितड़ी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
झुठ पाप ने आगे राखियां,
किदा तंत्र – मंत्र,
जीव जग ने खुब सताया,
किदा मुठ मंत्र,
बणगियों जितरी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
लाड़ली बेटियां ने बेचें,
घर में पुंजी लेवे,
बेटियां को कमायो खावे,
खुशियां मौज मनावे,
कर्म खोड़ली,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
कोई मरता तड़प तड़प कर,
कोई भूखा बासी,
कोई मरता बेन्डा बणकर,
केवे नरकां जासी,
‘रतन’ दिखरी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
अबकी बितरी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।।
गायक / रचना – पं. रतनलाल प्रजापति।
निर्देशक – किशनलाल जी प्रजापत।