रामचंद्र को दूत कहायो,
जग में नाम कमायो रे,
अंजनी का रे लाल,
पवना का रे लाल,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।
मात सिया को पतो लगाने,
तू लंका में आयो,
बजरंग तू लंका में आयो,
वृक्ष उजाड़या बाग़ उजाड़या,
रावण बहु घबरायो रे,
अंजनी का रे लाल,
पवना का रे लाल,
आछी रे संजीवण बूटी लायो।।
शक्ति लगी जद लखन लाल के,
तूने बिडलो उठायो,
ओ बजरंग तूने बिडलो उठायो,
द्रोणागिरी पर्वत पर जाकर,
बूटी लेकर आयो रे,
अंजनी का रे लाल,
पवना का रे लाल,
आछी रे संजीवण बूटी लायो।।
राम लखन दोनो भाईयों को,
अहिरावण हर लायो,
बजरंग अहिरावण हर लायो,
पाताल पूरी में जाकर हनुमत,
भारी युद्ध मचायो रे,
अंजनी का रे लाल,
पवना का रे लाल,
आछी रे संजीवण बूटी लायो।।
सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग,
चार जुगा जस गायो,
बजरंग चार जुगा जस गायो,
चन्दन गुरू सतगुरु जी मिल्या,
‘चुन्नीलाल’ जस गायो रे,
अंजनी का रे लाल,
पवना का रे लाल,
आछी रे संजीवण बूटी लायो।।
रामचंद्र को दूत कहायो,
जग में नाम कमायो रे,
अंजनी का रे लाल,
पवना का रे लाल,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।
गायक – नरेश प्रजापत।
प्रेषक – मुकेश सिंह सगरेव।
8890743285