अधम उधारण जीवो ने तारन,
गंगा माँ नवावे रे,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे,
अरेे जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे।।
साठ हजार सुत राजा सगर रा,
गंगा माँ नवावे रे,
हर की पोढी हरिद्वार में,
दर्शन माँ दरसाया रे,
हर की पोढी हरिद्वार में,
दर्शन माँ दरसाया रे,
जो कोई नहावे गंगा घाट पे ओ,
जो कोई नहावे गंगा घाट पे,
अंत शुद्ध हो जावे रे,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे,
अरेे जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे।।
कुम्भ कलश री काची काया,
नारायण बनावे रे,
सात पेरी री डांगडी मे,
हरी हंसो बसावे रे,
सात पेरी री डांगडी मे,
हरी हंसो बसावे रे,
पंख नाल सु हंसो निकले ओ,
पंख नाल सु हंसो निकले,
आ काया कुलमावे रे,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे,
अरेे जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे।।
क्रिया करने गंगा घाट पर,
पंडा फूल हरावे रे,
मिनक जून रो लेखो करने,
गंगा माँ नवावे रे,
मिनक जून रो लेखो करने,
गंगा माँ नवावे रे,
सात पेरी री सूखे बास मे ओ,
सात पेरी री सूखे बास मे,
हंसा ने बैठावे रे,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे,
अरेे जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे।।
कुम्भ कलश ने गंगाजल ले,
डांगडी भर लावे रे,
पंथ बोर ने पाठ पुराये,
डांगडी पथरावे रे,
पंथ बोर ने पाठ पुराये,
डांगडी पथरावे रे,
सात पोर री सतसंग करने ओ,
सात पोर री सतसंग करने,
रातडली जगावे रे,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे,
अरेे जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे।।
अधम उधारण जीवो ने तारन,
गंगा माँ नवावे रे,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे,
अरेे जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर सु तिरावे रे।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818