अड़हुल के फूल हम तोहके चढ़ाई,
नहीं कुछ बाटे हमरा कैसे मनाई।।
माफ करा गलती जवन,
भइल हमसे भूल हो,
हरवा चढ़ाइबै अबकी,
अड़हुल के फूल हो,
बानी परेशान हम,
बोला कहां जाईं,
नहीं कुछ बाटे हमरा कैसे मनाई।।
दुनिया के लोग सब,
हसत बाटे मो पे,
का हम बताएं कैसे,
बीत जाला रोके,
अपन कहानी तोहसे,
कितना बताई,
नहीं कुछ बाटे हमरा कैसे मनाई।।
नाही केहू बाटे हमरा,
तू ही सहारा हो,
माई से बढ़िके जग में,
नहीं केहू प्यार हो,
स्वारथके लोग सब,
बढल महंगाई,
नहीं कुछ बाटे हमरा कैसे मनाई।।
अड़हुल के फूल हम तोहके चढ़ाई,
नहीं कुछ बाटे हमरा कैसे मनाई।।
गायक / लेखक – हरिवंश प्रताप।
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