अड़सठ तीर्थ मेरा गुरूजी शरणे,
मैं तो गरे बैठो ही गंगा नासोजी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा,
अन्तरजोमी जी रा शरणो में में जावा,
मैं तो राम रत्न धन पावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा।।
हा तन मन धन गुरूसा ने,
अर्पण करसो हा,
में तो सीस केडा नाले,
सडावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा,
अन्तरजोमी जी रा शरणो में में जावा,
मैं तो राम रत्न धन पावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा।।
नेम रे धर्म ऱी रे,
जहाज वनावो हा,
में तो भवसागरी,
तर जावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा,
अन्तरजोमी जी रा शरणो में में जावा,
मैं तो राम रत्न धन पावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा।।
धर्मी रे दास महिमा,
है सतगुरु ऱी हा,
में तो शरण परस फल,
पावो जी लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा,
अन्तरजोमी जी रा शरणो में में जावा,
मैं तो राम रत्न धन पावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा।।
अड़सठ तीर्थ मेरा गुरूजी शरणे,
मैं तो गरे बैठो ही गंगा नासोजी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा,
अन्तरजोमी जी रा शरणो में में जावा,
मैं तो राम रत्न धन पावा जी रे लो,
गुरुदेव जी रा शरणो में मैं जावा।।
स्वर – शम्भु भारती जी गोस्वामी।
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