ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे सांवरे,
मुझको तेरे सिवा कुछ,
नहीं चाहिए,
तेरे दर की मिले जो,
गुलामी मुझे,
दो जहाँ की हुकूमत,
नहीं चाहिए,
ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे सांवरे,
मुझको तेरे सिवा।।
तर्ज – तुम अगर साथ देने का।
तेरे गम से बड़ी है,
मोहब्बत मुझे,
मुझको झूठी मुसर्रत,
नहीं चाहिए,
है मसीहा मेरे मैं,
वो बीमार हूँ,
जिसको दुनिया की राहत,
नहीं चाहिए,
ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे साँवरे,
मुझको तेरे सिवा।।
मेरी शान-ए-फकीरी,
सलामत रहे,
मेरे दिल में तुम्हारी,
मोहब्बत रहे,
मेरे दिल पे तेरी,
बादशाहत रहे,
मुझको इसके सिवा,
कुछ नहीं चाहिए,
ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे साँवरे,
मुझको तेरे सिवा।।
तेरी करुणा पे मुझको,
बड़ा नाज है,
मैं हूँ चाकर तू मेरा,
सरताज है,
दूर कर दे जो सांवल,
तेरे प्यार से,
ऐसी शान और शौकत,
नहीं चाहिए,
ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे साँवरे,
मुझको तेरे सिवा।।
ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे सांवरे,
मुझको तेरे सिवा कुछ,
नहीं चाहिए,
तेरे दर की मिले जो,
गुलामी मुझे,
दो जहाँ की हुकूमत,
नहीं चाहिए,
ऐ मेरे प्राण प्रीतम मेरे सांवरे,
मुझको तेरे सिवा।।