ऐ पंडा बाबा झूला डार दे,
चम्पा चमेली की बगिया में,
झूलेगी मैया दुपरिया में।।
रेशम की डोरी ले अइयो,
चन्दन को पलना बनबइयो,
पंडा जाए बढई से कहियो,
जइयो जइयो नगरिया में,
झुलेगी मैया दुपरिया में।।
गोटेदार चुनरिया लइयो,
मेरी मैया जी को उड़इयो,
पंडा जी बनिया से कहियो,
जइयो जइयो बजरिया में,
झुलेगी मैया दुपरिया में।।
चुन चुन कलियां हार बनइयो,
मेरी मैया जी को पहनईयो,
पंडा जी मालिन से कहियो,
जइयो जइयो बजरिया में,
झुलेगी मैया दुपरिया में।।
ढोलक झांझ मंजीरा बजइयो,
मैया जी की भेंटे गइयो,
पंडा जाए ‘पदम्से’ कहियो,
जइयो माँ की दुअरिया में,
झुलेगी मैया दुपरिया में।।
ऐ पंडा बाबा झूला डार दे,
चम्पा चमेली की बगिया में,
झूलेगी मैया दुपरिया में।।
लेखक / प्रेषक – डालचन्द कुशवाह”पदम्”
भोपाल। 9827624524