ऐ री सखी मोरे श्याम घर आए,
दोहा – श्याम ही मेरा कपड़ा लत्ता,
मेरा श्याम ही मेरा गहना,
मैं तो हूँ मेरे श्याम प्रभु की,
श्याम तू मेरा रैहणा।
ऐ री सखी मोरे श्याम घर आए,
भाग लगे मोरे आँगन को,
ऐ री सखी मोरें श्याम घर आए।।
मैं तो खड़ी थी आस लगाए,
मैं तो खड़ी थी आस लगाए,
कब मोरे श्याम मेरे घर को आए,
कब मोरे श्याम मेरे घर को आए,
अपने श्याम की देख सूरतिया,
भूली मैं तो तन मन को,
ऐ री सखी मोरें श्याम घर आए।।
श्याम ही मेरे मन को भाए,
श्याम ही मेरे मन को भाए,
थारे बिन बाबा कुण दुखड़ा मिटाए,
थारे बिन बाबा कुण दुखड़ा मिटाए,
मुझे भी बुलाले खाटू नगरिया,
तरसी तेरे दर्शन को,
ऐ री सखी मोरें श्याम घर आए।।
ऐ री सखी मोरे श्याम घर आये,
भाग लगे मोरे आँगन को,
ऐ री सखी मोरें श्याम घर आए।।