ऐ श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है,
तुम आओ या ना आओ प्रभु,
तुम आओ या ना आओ प्रभु,
अब आगे तुम्हारी मर्जी है,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
ऐं श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है।।
तर्ज – मेरा दिल भी कितना।
मैं तेरा सुदामा बन जाऊँ,
तुम बन के कन्हैया आ जाओ,
मैं बेर खिलाऊँ सबरी बन,
तुम राम रूप में आ जाओ,
ऐं श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है।।
इतना है प्रभु विश्वास मुझे,
एक दिन मेरे घर आओगे,
राधा रुक्मिणी के संग प्रभु,
आकर के मान बढ़ाओगे,
ऐं श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है।।
जग में ना हसाई होगी मेरी,
मेरी आकर लाज बचाओगे,
इस निर्धन “राज” की कुटिया में,
प्रभु रूखा सूखा खाओगे,
ऐं श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है।।
ऐ श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है,
तुम आओ या ना आओ प्रभु,
तुम आओ या ना आओ प्रभु,
अब आगे तुम्हारी मर्जी है,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
ऐं श्याम मेरे घर आ जाओ,
इतनी सी अर्जी मेरी है।।
– गायक लेखक एवं प्रेषक –
राज पाण्डेय गोरखपुर 9695745740