ऐ श्याम तेरे दर पर,
जिसका है आना जाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना,
ऐ श्याम तेरे दर पर।।
तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से
तेरी प्रीत में ओ मोहन,
जो जिंदगी गुजारे,
होकर मगन कन्हैया,
तेरा नाम जो पुकारे,
आँखों में जिसके आंसू,
होंठो पे है तराना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना,
ऐ श्याम तेरे दर पर।।
जपले जो नाम तेरा,
कट जाते सारे बंधन,
बड़ा भाग्य शाली है वो,
करता जो तेरा सुमिरन,
तू है प्रेम का पुजारी,
तेरे नाम का दीवाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना,
ऐ श्याम तेरे दर पर।।
सच्ची लगन लगा के ‘लख्खा’,
जो श्याम को है भजता,
ये खाटु वाला ‘बिन्नू’,
उसको कभी ना तजता,
मेरे श्याम के चरण में,
उसका बने ठिकाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना,
ऐ श्याम तेरे दर पर।।
ऐ श्याम तेरे दर पर,
जिसका है आना जाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना,
ऐ श्याम तेरे दर पर।।