अगर बाबा तू ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता,
भटकते दर बदर हम तो,
तेरा दीदार ना होता,
अगर बाबा तु ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता।।
तेरी रहमत हुई ऐसी,
तेरी चौखट पे आए है,
नहीं मिलता हमें तू गर,
नहीं मिलता हमें तू गर,
तेरा उपकार ना होता,
अगर बाबा तु ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता।।
तुम्हारी हर रजा में श्याम,
हम तो राजी रह लेंगे,
भरोसा किस पर करते हम,
भरोसा किस पर करते हम,
तू लखदातार ना होता,
अगर बाबा तु ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता।।
दुखो की तेज लहरों में,
तू खेवनहार ना होता,
सफीना डूब ही जाता,
सफीना डूब ही जाता,
भवर से पार ना होता,
अगर बाबा तु ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता।।
संग ‘चोखानी’ के ‘अंजलि’,
तुम्हारे पास आई है,
कहाँ जाते अगर बाबा,
कहाँ जाते अगर बाबा,
तेरा दरबार ना होता,
अगर बाबा तु ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता।।
अगर बाबा तू ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता,
भटकते दर बदर हम तो,
तेरा दीदार ना होता,
अगर बाबा तु ना होता,
तो हम दीनों का क्या होता।।
स्वर – अंजलि द्विवेदी जी।
प्रेषक – आरोही छाबडा।