मेरे जीवन में खुशियों की सदा,
भरमार हो जाये,
अगर चरणों का राधा रानी के,
दीदार हो जाये।।
तर्ज – अगर दिलवर की रुसवाई।
ह्रदय में श्यामसुंदर के,
विराजें राधिका रानी,
छबीली लाडली राधा,
‘वो थी कान्हा की दीवानी’-2,
लगे मस्तक पे व्रज रज से मेरा,
उद्धार हो जाये।।
बिछाये नैन राहों में,
तेरे दरशन की चाहत है,
पिला दे जाम मस्ती का,
‘मिले दिल को जो राहत है”-2,
तेरे दरशन से ये जीवन मेरा,
गुलजार हो जाये।।
अगर किरपा जो हो जाये,
वो वृषभानु दुलारी का,
कली मन की भी खिल जाए,
‘झलक पा श्यामा प्यारी का’-2,
तो इस भवसिंधु से “परशुराम” भी,
भवपार हो जाये।।
मेरे जीवन में खुशियों की सदा,
भरमार हो जाये,
अगर चरणों का राधा रानी के,
दीदार हो जाये।।
लेखक एवं प्रेषक – परशुराम उपाध्याय।
श्रीमानस-मण्डल, वाराणसी।
मो-9307386438