अगर दिल किसी का,
दुखाया ना होता,
अगर दिल किसी का,
दुखाया ना होता,
तो सदमों का तीर दिल पे,
ये खाया ना होता,
अगर दिल किसी का।।
तर्ज – अगर दिल किसी से।
तेरी जिंदगी में,
ना होता अँधेरा,
जो दिया दूसरों का,
बुझाया ना होता,
अगर दील किसी का,
दुखाया ना होता।।
ना होता ज़माने में,
कभी घर से बेघर,
जो घर दूसरों का,
जलाया ना होता,
अगर दील किसी का,
दुखाया ना होता।।
अगर तू हसता,
दुसरो के दुःख पर,
तो हरी ने तुझे यूँ,
रुलाया ना होता,
अगर दील किसी का,
दुखाया ना होता।।
अगर प्यार तू प्रेम,
करता सभी से,
तो जग में रे कोई,
पराया ना होता,
अगर दील किसी का,
दुखाया ना होता।।
अगर दिल किसी का,
दुखाया ना होता,
अगर दील किसी का,
दुखाया ना होता,
सदमों का तीर दिल पे,
ये खाया ना होता,
अगर दिल किसी का।।
Bhut bdhay sesade bhjan he
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Bahut sundar
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